संवाददाता “आरती पांडे” की रिपोर्ट..
देहरादून – क्या आप जानते हैं कि 2041 तक देहरादून के रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे लगभग 30 मीटर के दायरे में जितने भी मकान पड़ते हैं. उन्हें शिफ्ट करने की सरकार सोच रहे है, यदि नहीं तो जान लीजिए… जी हां राजधानी देहरादून की मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट करने का प्लान ही सरकार का है.
दरअसल, नियोजन विभाग ने 2041 तक के लिए मास्टर प्लान जारी कर दिया है. जिसके तहत मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को प्रदान की जाएगी. उन्हें नदियों के किनारे अब नहीं रहना पड़ेगा. जिसके तहत लगभग 19000 मकानों को शिफ्ट किए जाने की बात सामने आ रही है. बताते चलें अफॉर्डेबल हाउसिंग स्कीम के जरिए स्लम एरिया में रह रहे परिवारों का पुनर्वास किया जाएगा. मास्टर प्लान में 77 पॉकेट दर्शाए गए हैं, इनमें 19000 मकान सम्मिलित हैं.
2041 तक के लिए तैयार किए गए मास्टर प्लान में रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे 30 मीटर के दायरे में बने मकानों को शिफ्ट करने की सिफारिश की गई है। शहर के नियोजित विकास के लिए नदियों के किनारे बने मकानों में रह रहे परिवारों का पुनर्वास किया जाना जरूरी है। मलिन बस्तियों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। उत्तराखंड के चीफ टाउन प्लानर शशि मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि मास्टर प्लान में अफॉर्डेबल हाउसिंग स्कीम का प्रावधान किया गया है, मलिन बस्तियों का पुनर्वास उसी का एक भाग है। बता दें कि राजनीतिक दल कई सालों से मलिन बस्तियों को मालिकाना हक दिलाने का आश्वासन दे रहे हैं, दो बार अध्यादेश भी लाया जा चुका है, लेकिन 11500 निर्माण ऐसे भी हैं, जो निजी या सरकारी भूमि पर स्थित हैं। ऐसे में सरकार को इनके नियमितिकरण के लिए ठोस नीति बनानी होगी, तभी लोगों को मालिकाना हक देने का रास्ता साफ हो सकेगा।