देहरादून – क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड में इस साल भी रिक्त पदों के सापेक्ष सरकारी कर्मचारियों के तबादलों से जुड़ा एक बड़ा अपडेट सामने आ रहा है… क्योंकि इस साल 2023 में बताया जा रहा है कि लगभग 15% ही तबादले किए जाएंगे. जिस पर सीएम धामी की ओर से एक कारगर प्लान भी बनाया गया है. वहीं यदि विभागों की बात करें, तो ज्यादा तबादलों की जरूरत महसूस होती है तो इस पर वह एक्ट के तहत गठित मुख्य सचिव समिति यानी धाराएं-27 से अनुमति ले सकते हैं.
छात्र की संख्या कम होना भी है एक मुख्य कारण
पर्वतीय जिलों में छात्र संख्या कम है और कई स्थानों पर शिक्षकों की संख्या ज्यादा है। वहीं, मैदानी क्षेत्र के स्कूलों में कई जगह छात्रों की संख्या काफी ज्यादा है और शिक्षक कम हैं। शिक्षकों के नहीं होने पर बीच सत्र में तबादला ऐक्ट की वजह से तबादला करना मुमकिन नहीं होता। ऐसे में अटैचमेंट की व्यवस्था भी अधिक प्रभावी नहीं है। इस पर मुख्य सचिव ने शिक्षा सचिव रविनाथ रमन व अपर सचिव मेजर योगेंद्र यादव को शिक्षकों और छात्र संख्या के आकलन को कहा।
उधर, शिक्षा विभाग को स्कूलों में छात्र संख्या के अनुसार शिक्षकों की आवश्यकता का आकलन करने के निर्देश दिए गए हैं। शिक्षकों के तबादले छात्र संख्या की जरूरत के अनुसार ही किए जाएंगे। मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधु की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक में कई अहम बिंदुओं पर सहमति बनी। सूत्रों के अनुसार,इस बैठक में शिक्षा विभाग के विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई। शिक्षा अधिकारियों ने बताया कि शिक्षकों के तबादलों में ऐक्ट के प्रावधानों के चलते व्यावहारिक दिक्कतें आ रही हैं। नियमानुसार पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में बराबर तबादले करने पड़ते हैं।
क्या है धारा 27
तबादला एक्ट के तहत गठित मुख्य सचिव समिति के लिए तैयार किए गए विभिन्न विभागों के तबादले के जितने भी मामले होते हैं. वह धारा-27 के अंदर आते हैं – आईपीसी (IPC) की धारा 27 कहती है कि जबकि सम्पत्ति (Property) किसी व्यक्ति के निमित्त उस व्यक्ति की पत्नी (Wife), लिपिक (Clerk) या सेवक( Servant) के कब्जे (Possession) में है, तब वह इस संहिता के अर्थ के अन्तर्गत उस व्यक्ति के कब्जे में ही है.