संवाददाता “आरती पांडे” की रिपोर्ट..
हरिद्वार – इस समय जो खबर हम आपके साथ साझा करेंगे, वह गंभीर विषय को दर्शाती है. यह विषय है- हरिद्वार तीर्थ नगरी कहलाई जाने वाली नगरी… यहां पर अब मजारे अपनी चादर फैला रही हैं. जी हां, हिंदुओं की आस्था की प्रतीक कुंभ नगरी हरिद्वार में एक-दो नहीं बल्कि कई मजारे खड़ी हो गई हैं. हरिद्वार शहर की तरफ जाने वाली सड़कों के किनारे एकाएक कई मजारे दिखाई देने लगी है. एक मजार तो उन्हीं में से ज्वालापुर आर्य नगर चौक पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यालय के पास ही है. जिसे चंदन पीर बाबा के नाम से जाना जाता है. वही ज्वालापुर क्षेत्र में जमालपुर राजकीय विद्यालय के बीच में आलीशान मजार बना दी गई है. सोचिए कोई बालक यहां शिक्षा लेने आएगा या फिर मजार देखने—-
उल्लेखनीय ये भी है कि इन मजारों में मुस्लिम न के बराबर जाते है और हिंदू यहां कथित फकीरों के झांसे में ज्यादा आते है। ये मजार दरगाह बाबा रोशन अली के नाम से है। ऐसे ही नाम की एक और मजार बहादराबाद ज्वालपुर कैनाल रोड पर मिल जाएगी। रोशन अली नाम की एक और मजार पुराने सिंचाई विभाग के दफ्तर परिसर में, रघुनाथ मॉल के सामने अवैध रूप से कब्जा कर बनाई गई है। रोशन अली शाह नाम की मजारें हरिद्वार जिले में तीन अन्य स्थानों पर हैं। ऐसा कैसे हो सकता है कि एक व्यक्ति को कई जगह दफनाया गया हो? मजार जिहाद का धंधा उत्तराखंड में पनप रहा है जिसकी जद में हिंदू धर्म नगर हरिद्वार भी आ चुका है।
मंगलोर रोड पर सैय्यद शाह गुम्बद वाली मजार, जंगल और सड़क के बीच बना दी गई है। सराय रोड पर भी मकबूल शाह की मजार है। ज्वालापुर से गुजर रहे नेशनल हाईवे के दोनों तरफ मजारें हैं, एक भूरे शाह की और एक अमीर शाह की। इनमें से एक मजार के बराबर में एक और मजार बना दी गई, ये दूसरा कौन है ? तो बताया गया साहब ये खादिम है, यानि कब्जा कर मजार बनाने वाले की भी मजार है जबकि उसे दफनाया कब्रिस्तान में था।
इन मजारों को देख कर ऐसा लगता है कि योजनाबद्ध तरीके से सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जा करने की नीयत से इन्हें बनाया गया है। हरिद्वार के ज्वालापुर से बाहर कब्रिस्तान है जहां मुस्लिम लोगों को दफनाने की परंपरा है। कोई भी पीर फकीर सड़कों के किनारे दफनाया गया हो ऐसा हरिद्वार के किसी भी नागरिक की याद में नहीं है।