बुरांश से बनेंगी कैंसर और दिल की बीमारियों की दवा, आइए जानिए इसके फायदे..

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रुद्रप्रयाग – बुरांश उत्तराखंड का राज्य वृक्ष जिसके बाद पहाड़ों में इसकी सुंदरता अलग ही देखने को मिलती है… और उसकी लालिमा चारों तरफ अपना एक अलग ही रंग दिखाई देती है… लेकिन अब पर्वतीय इलाकों में गुलाबी और सफेद रंग की बुराई भी देखने को नजर आ रही है. बुरांश का वृक्ष ना सिर्फ सुंदरता बल्कि अपनी औषधीय गुणों से भी माना जाता है. यही इसकी खास वजह रही है, यह पुष्प कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने का काम करता है और इस पुष्प को वैज्ञानिक नाम में रोडोडेंड्रोन आर्बोरियम के नाम से जाना जाता है.

बुरांश का फूल उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि भूटान, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका में भी पाया जाता है। इसकी 93 प्रतिशत प्रजातियां केवल हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है। आयुर्वेदिक पद्धति की मशहूर दवा अशोकारिष्ट में भी बुरांश का प्रयोग किया जाता है। कर्णप्रयाग के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर इंद्रेश पांडेय कहते हैं कि बुरांश में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी डायबिटिक, एंटी डायरिल और हिपेटोप्रोटिक्टिव एक्टिविटी होती है। आयरन की कमी, हीमोग्लोबिन बढ़ाने और हृदय संबंधी रोगों के उपचार में इसका इस्तेमाल होता है। दिल संबंधी बीमारियों के साथ ही कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की दवा बनाने में भी बुरांश का इस्तेमाल किया जाता है। उत्तराखंड में बुरांश के पेड़ 1500 से 3600 मीटर ऊंचाई तक पाए जाते हैं। राज्य में इसके फूल से जूस समेत कई उत्पाद बनाए जा रहे हैं, जिससे यहां के लोगों को रोजगार भी मिला है।

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