उत्तराखंड के जौनसार में बस रहे हैं “अवैध गुज्जर मुस्लिम” पढ़े पेशकश…

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उत्तरकाशी – आज जो खबर हम आपके साथ साझा करेंगे वह उत्तरकाशी के जौनसार से सामने आ रही है. जहां पर घुसपैठ के पीछे देवबंद के जमात रहनुमा गुर्जरों की पार्टी के साथ यहां पर रह रही हैं. पहले तो यह गुज्जर यहां पर थोड़ी ही तादाद पर थे, परंतु देखते ही देखते यह जमावड़ा आज इतना ज्यादा हो गया है कि यहां पर इन्होंने बस्तीयां बसा ली हैं. हम यह नहीं कहते कि बसना कोई गुनाह है, हम यह कह रहे हैं कि यहां पर बसने के बाद अपने ही मंसूबे बनाए जाना यह गलत है.

बता दे, पहले यह मुस्लिम गुज्जर यमुना घाटी में रहते थे परंतु देखते ही देखते अभी है जौनसार इलाके तक पहुंचे हैं. पहले यह भैंसों को चराने का काम करते थे. जिसके लिए जंगलों में कोई रोक-टोक भी नहीं हुआ करती थी. पशुपालन करते थे…. लेकिन अब उन्होंने यह धंधे छोड़कर एक नए धंधे अपना लिए हैं. इस वजह से हमें इनके मंसूबे सही नहीं लग रहे हैं और यह खबर बनानी पड़ रही है.

सबसे पहले तहसील त्यूनी के कस्बे हटाल हैड्स, रडु, चाँदनी- त्यूनी मझोग, होल, खुनीगाड, गुरुयाना, धातरा मेंन्द्रथ, पुरटाइ, कोटी बावर, सुनीर, देऊड- चाती, सुकेइ, नेवल- मुडाली- जाखा चांटी- क्षेत्र में मुस्लिम वन गुर्जर समुदाय की घुसपैठ हो चुकी है। इनमें बहुत से कस्बे ऐसे हैं, जहां इन लोगों के नाम जमीन तक खतौनियों में चढ़ी हुई है। करीब सात हजार वन गुर्जरों के नाम भी मतदाता सूची में आ गए हैं।

रुद्र सेना के लोगों का कहना है कि ये मुस्लिम गुर्जर यहां अपने पशुओं को चराने के लिए राजाजी पार्क से चकराता होते हुए त्यूनी तक जाते थे। रास्ते के गांवों के पास में डेरा डालते थे, लेकिन अब पिछले कुछ सालों से ये मुस्लिम गुर्जर जौनसार बावर के चकराता, कालसी तथा पछवादून आदि स्थानों पर एक साजिश के तहत बस्ते जा रहे हैं। शासन-प्रशासन की घोर लापरवाही तथा राजनीतिक संरक्षण में जमात और गजवा-ए-हिंद के उद्देश्य को पूरा करने में ये उनकी योजना को पूरा करने में लगे हुए हैं।

जानकारी के मुताबिक देवबंद के जमाती मुस्लिम संगठन, वन गुर्जरों के माध्यम से जौनसार बावर में जगह-जगह सामाजिक और वन विभाग की जमीनों पर अवैध कब्जे कर स्थाई रूप से बस्ते जा रहे हैं। इन गुर्जरों के मूल निवास जैसे तमाम सरकारी दस्तावेज तैयार करने में कांग्रेस के कुछ नेताओं की संदिग्ध भूमिका रही है। जिसने अब पूरे जनजातीय क्षेत्र को चिंता में डाल दिया है। मुस्लिम गुर्जरों का कोई स्थाई ठिकाना नहीं होता। अब इनके दस्तावेज, जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर के बनते जा रहे हैं। यहां तक की आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर कार्ड, बीपीएल कार्ड, स्थाई निवास बनाकर दे दिए गए हैं। जिस जनजातीय क्षेत्र को संस्कृति के संरक्षण के लिए संरक्षित किया गया था, वहां अब ये सरकारी योजना का लाभ ले रहे हैं, यहां तक की हटाल सैंज के एक प्रधान ने तो वन गुर्जर को अनुसूचित जनजाति में दिखाकर अटल आवास तक दे दिया है। वोट की लालच में ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं, जहां जौनसार बावर में बाहरी लोग ज़मीन नहीं खरीद सकते। वहीं ये लोग अपने दस्तावेजों के आधार पर जमीन खरीद कर आवास बनाकर रह रहे हैं।

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